Wednesday 18 January 2017

Punam pimple

                 माझी माय
हंबरून वासरले चाटती जावा गाय,
तवा मले तिच्यामध्ये दिसती माझी माय.               आय बाया सांगत होत्या होतो जावा तान्हा,    दुष्काळात मायेच्या माझे आटला होता पान्हा,  पिठामंदी पाणी टाकून मले पाजत जाय,               तवा मले पिठामंदी दिसती माझी माय             तान्या काट्या येचायला माय जाती रानी,           पायात नसे वाहन तिच्या फिरे अनवाणी,    काट्याकुट्या लाही तीच मानत नसे पाय,              तवा मले काट्यामंदी दिसती माझी माय              बाप माझा रोज लावी मायेच्या माग टुमण,            बास झाल शिक्शान आता घेउदे हाती काम,       शिकून सान कुठ मोठा मास्तर होणार हाय,           तवा मले मास्तरमंदी  दिसती माझी माय            दारू पिऊन मायेले मारी जावा माझा बाप,            थर थर कापे अन लागे तिले धाप,                कसायाच्या दावणीला बांधली जशी गाय,              तवा मले गायीमंदी  दिसती माझी माय           बोलता बोलता एकदा तिच्या डोळा आल पाणी,     सांग म्हणे राजा तुझी कवा दिसलं राणी,          भरल्या डोळ्यां कवा पाही दुधावरची साय,            तवा मले सायीमंदी  दिसती माझी माय              म्हणून म्हणतो आनंदाने भरावी तुझी वटी,            पुन्हा एकदा जनम घ्यावा माये तुझे पोटी,             तुझ्या चरणी ठेऊन माया धरावे तुझे पाय,             तवा मले पायामंदी  दिसती माझी माय.

Monday 16 January 2017

             भारतीय संस्कृति
 अनेकता में एकता सिर्फ कुछ शब्द नही हैं , बाकी यह एक ऐसी चीज हैं  जो भारत जैसे सांस्कृतिक और विरासत में समृद्ध देश पर पुरी तरह लागू होती हैं । विश्व के नक्शे पर अपनी रंगारंग और अनूठी संस्कृति से पाया हैं । भारत हमेशा से अपनी परंपरा और अतिथ्य के लिए मशहूर रहा हैं । रिश्तों मे गर्माहट , और उत्सवो में जोश के कारण यह देश विश्व में हमेशा अलग ही नजर आता है । इस देश किन्तु उदारता और जिंदादीली ने बड़ी संख्या में लोगों को जीवंत संस्कृति की ओर आकर्षित किया जिसमें धर्मों, त्योहारों, खाना, कला, शिल्प , नृत्य , संगीत आदि कई चीजों का मेल है । देवताओं की इस धरती में संस्कृति , रिवाज और परंपरा से लेकर बहुत कुछ खास रहा हैं । तभी तो जाॅन बर्नाड शाॅ ने कहा हैं :-  " भारतीय जीवनशैली प्राकृतिक और असली जीवनशैली की दृष्टि देती है । हम खुद को अ प्राकृतिक  मास्क से ढक कर रखते हैं । भारत के चेहरे पर मौजूद हल्के निशान रचयिता के हाथों के निशान हैं ।
              भारतीय संस्कृति का कैनवास विशाल है और उसपर हर प्रकार के रंग और जीवंतता है। यह देश कहीं सदियों से सहिष्णुता, सहयोग  , और अहिंसा का जीवंत उदाहरण है और आज भी है। इसके विभिन्न रंग इसकी विभिन्न छटा देखने मिलती हैं । भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के मामले में सबसे आगे है । पुजा और अपने धर्म के पालन की आजादी भारत में विविध सांस्कृतिक यो के सामस्यपूर्ण अस्तित्व की अभिव्यक्ति हैं । ना किसी धर्मों को नीची नजर से देखा जाता है ना किसी को सास ऊँचा स्थान दिया जाता हैं । वास्तव में मुसीबत के समय सब धर्म अपने सांस्कृतिक मतभेद होने के बाद भी साथ आते हैं और विविधता में एकता दिखाते है । सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भारत का इतिहास भाईचारे और सहयोग के उदाहरणों से भरा है। इतिहास में अलग अलग समय में विदेशी हमलावरों के कई वार झेलने के बाद भी ईसकी संस्कृति और एकता कभी नही हारी और हमेशा कायम रहीं है ।
                किसी भी देश के विकास में उसकी संस्कृति का बहुत योगदान होता है । देश की संस्कृति उसके मूल्य,  लक्ष्य ,प्रथाए और विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं । भारतीय संस्कृति कभी कठोर नही रही इसलिए यह आधुनिक काल में भी गर्व के साथ जिंदा है । यह दूसरी संस्कृति यों की विशेषता ए सहि समय पर अपना लेती है । समय के साथ चलते रहना भारतीय संस्कृति की सबसे अनूठी बात है। भारत की बातें है जो पुरी दुनिया में मशहूर है जैसे -
अभिवादन के तरीके,  स्वागत सत्कार , फूल माला से भारतीय शादियाँ, भारतीय कपड़े,  भारतीय गहने , मेहंदी, धार्मिक भारत तीर्थस्थान , प्रकृति की पूजा , प्रदर्शन कला, नृत्य रंगमंच ,संगीत, सिनेमा, दृश्य कला,  चित्र, मुर्तिया, मेले और त्योहार आदि भारत की संस्कृति कई चीजों को मिला जुलाकर बनती हैं । जिसमें भारत का लम्बा ईतिहास , विलक्षण भूगोल और सिंधुघाटी की सभ्यता ।
             भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान है यह संसार की प्राचीनतम संस्कृति यों में से हैं । दूसरी विशेषता अमरता हैं । तीसरी विशेषता जगद्गुरु होना है ।
             सर्वांगीण विशालता उदारता और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृति यों की अपेक्षा  अग्रणी स्थान रखती हैं । भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध है।
            कोई भी विदेशी भारत में आता है और वह एकदम अपरिचित हैं, तो उसे भारत की यात्रा करने पर ऐसा लगेगा की यह एक देश नही , अपितु कई देशों का समूह हैं । अनेक प्रकार फल -  फूल अन्न इत्यादि भी मिलेगा । अनेक प्रकार के वृक्ष , सभी प्रकार के पशु - पक्षी यहाँ देखते है ।
          ईस प्रकार संपूर्ण भारत में विभिन्नताएॅ ही दिखाई देती हैं । रहन सहन,  खान पान , वेशभूषा आदि पर प्रभाव पड़ता है। भारत में अनेक भाषाओं का भी प्रचलन है । बोलीयों की तो गिनती हीं नही हैं । ईसलिए
        "कोस कोस  पर बदले पानी
          चार कोस पर बदले वाणी "